भाजपा सरकार एक ओर तो छत्तीसगढ़ में शराब दुकानों की बढ़ोत्तरी कर रही है वहीं भाजपा के दिग्गजों के जमावड़े पर कानून व्यवस्था नज़र आ रही है अब ये दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है।


कलेक्टर सरगुजा का आदेश अपने आप में सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है।

रिपोर्ट आलोक शुक्ल।
7 जुलाई और 8 जुलाई को मैनपाट मैं पूरे दिन और 9 जुलाई को दोपहर 2:00 बजे तक शराब दुकान बंद रहेगी क्यों बंद रहेगी इसके पीछे केंद्र और राज्य के विशिष्ट गणमान्य अतिथियों के आने पर विधि कानून व्यवस्था  का उल्लेख है यानि भाजपा के दिग्गजों, नेताओं के लिए कानून व्यवस्था है और आमजन के लिए ये सब मायने नहीं रखते।
उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई से लेकर 9 जुलाई तक भाजपा के 10 संसद सदस्यों और 56 भाजपा के विधायकों का यहां प्रशिक्षण वर्ग प्रारंभ हो रहा है। साथ ही यहां भाजपा के कई बड़े नेताओं को भी आना है ऐसे में अब ज़िला प्रशासन कानून व्यवस्था के लिए तो ढाई दिन शुष्क दिवस घोषित किया है जबकि अम्बिकापुर में गांधी चौक पर ही प्रीमियम दुकान खोल दी गई है। लोग इस पर चुटकी भी ले रहे हैं
अब यहां की जनता का यह कहना है कि बरसात का मौसम है  और हम तो सरकार की आर्थिक स्थिति मजबूत करते हैं, सरकार का राजस्व बढ़ा रहे हैं ऐसे में दुकान बंद क्यों?

जब कलेक्टर ये स्वयं मान लें कि अति विशिष्ट लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए तो ऐसे में एक प्रश्न तो ये भी है कि कई उम्र दराज लोग भी मैनपाट में हैं क्या इसी तरह उनकी सुविधाओं का भी ख्याल रखा जाएगा?

भाजपा की ट्रिपल ईंजन सरकार को इस आदेश से सबक तो अवश्य लेना चाहिए कि वो आमजन और अपने बड़े नेताओं में आखिर एक विभाजन रेखा क्यों खींच रही है। साथ ही सरगुजा कलेक्टर को उन आवेदन पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए कि शराब दुकान जो बस्ती में है उसके विरोध पर भी वो मौन क्यों रहे ? इसलिए कि वहां रहने वाली संभ्रांत महिलाओं और बुजुर्गों को आप देश में सम्मानित नागरिक तक नहीं समझ पाए?

ये आदेश कांग्रेस के लिए एक और मुद्दा दे गया है साथ ही सोशल मीडिया पर भी इसमें तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आएंगी जिस पर सरकार को अलग से प्रशिक्षण वर्ग की आवश्यकता है।

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