कांग्रेस के राजेश ठाकुर के उत्तरी छत्तीसगढ़ में लगातार सक्रिय होकर गहन संपर्क से अंदरखाने राजनैतिक सरगर्मी बढ़ गई है।

गौर तलब है कि राजेश ठाकुर उच्च शिक्षित हैं और इनकी उच्च शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से हुई है। वर्तमान में झारखंड में सरकार की समन्वय समिति में इन्हें शामिल किया गया है।

कांग्रेस की छत्तीसगढ़ में गुटबाजी व केंद्रित तानाशाही के कारण हुई हार से कांग्रेस संगठन ने  कमर कसकर ज़मीन पर तेजी से आमजन के मुद्दे को उठाते नज़र आ रही है। इसमें सरगुजा और बस्तर संभाग इस बार भी नज़र में हैं क्योंकि इन दोनों संभाग से कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।

अब कांग्रेस ज़िलों में अध्यक्ष को लेकर सरगुजा जैसे महत्वपूर्ण ज़िले में राजेश ठाकुर को पर्यवेक्षक बना कर भेजा है जिन्होंने लगातार 4 दिनों तक मैराथन दौरा टू किया ही साथ ही कुछ पत्रकारों से भी रायशुमारी कर पूरी ख़बर ली है जिससे रणनीति बनाई जा सके।

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के दिग्गज नेता के ताबड़तोड़ दौरे की रिपोर्ट राज्य की आई बी ने भी बनाई है साथ ही भाजपा का संगठन भी इसे लेकर गंभीर है क्योंकि राजेश ठाकुर को रणनीति बनाने का माहिर माना जाता है और वो ज़मीन पर नज़र रख अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए चर्चित हैं।

जिलाध्यक्ष पर रायशुमारी के साथ साथ उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार को लेकर बढ़ रहे आमजन में आक्रोश पर भी कुछ बड़े लोगों से गुप्त रूप से लंबी चर्चा की है और इन बातों की सिलसिलेवार रिर्पोट तैयार कर दिल्ली आलाकमान तक भी पहुंचाने के लिए एक डायरी भी बना ली है जिसमें कई मुद्दे हैं।

प्रेस विज्ञप्ति

सरगुजा कांग्रेस जिलाध्यक्ष के लिए चार दिन चले रायशुमारी के बाद आज जशपुर जिले के लिए रवाना होते समय मुख्य पर्यवेक्षक  राजेश ठाकुर ने बयान देकर बताया है कि नवंबर माह में जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जाएगी। संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड राज्य के पूर्व अध्यक्ष  राजेश ठाकुर के नेतृत्व में 4 सदस्यीय पर्यवेक्षक दल का गठन किया था। इसमें छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष  धनेंद्र साहू, भानुप्रतापपुर विधायक सावित्री मंडावी एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व संगठन महामंत्री  अमरजीत चावला शामिल थे। आज मंगलवार को दरिमा, मैनपाट, बतौली और सीतापुर ब्लॉक में रायशुमारी के बाद  राजेश ठाकुर ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने नए जिलाध्यक्ष के चयन के लिए 3 मानदंड तय किये थे। ऐसा व्यक्ति जो कांग्रेस की विचारधारा से ओतप्रोत हो, आम जन के दुखदर्द से जुड़ा हो, और आमजन की समस्याओं के लिए संघर्ष करने वाला हो ऐसा व्यक्ति जिलाध्यक्ष के लिए उपयुक्त रहेगा। 4 दिन के दौरे की समाप्ति पर उन्होंने कहा कि सरगुजा जिले में कांग्रेस का संगठन बेहद मजबूत है, कार्यकर्ता भी बेहद मौजूद हैं और आगामी अवसर में यह संगठन उम्मीदों पर खरा उतरेगा।

4 दिन तक गहन रायशुमारी

संगठन सृजन के तहत सरगुजा जिले में कांग्रेस जिलाध्यक्ष के चयन की यह प्रक्रिया 11 अक्टूबर से आज मंगलवार 14 अक्टूबर तक चली। 11 अक्टूबर को पर्यवेक्षक दल ने प्रेसवार्ता से अपने कार्य को प्रारंभ किया। प्रेसवार्ता के उपरांत जिला संगठन की बैठक लेकर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से वन टू वन चर्चा की गई। 12 अक्टूबर को सामाजिक संगठनों से वन टू वन चर्चा के उपरांत
ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों की बैठक और रायशुमारी की गई। 12 अक्टूबर को अम्बिकापुर शहर, अम्बिकापुर ग्रामीण और लखनपुर ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों से चर्चा हुई। 13 अक्टूबर को उदयपुर, लुण्ड्रा और धौरपुर ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों में दौरा कर रायशुमारी उपरांत पर्यवेक्षक दल रात में जिलाध्यक्षों के दावेदारों से वन टू वन मुलाकात किया। दौरे के अंतिम दिन पर्यवेक्षक दल ने दरिमा, मैनपाट, बतौली और सीतापुर ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों का दौरा किया। सबसे महत्वपूर्ण चर्चा मीडिया से हुई। दौरा प्रारंभ करने के पूर्व 13 ओर 14 अक्टूबर दोनो दिन मुख्य पर्यवेक्षक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों से मुलाकात कर जिले में संगठन की स्थिति और उपयुक्त दावेदारों पर फीडबैक लिया। पड़ोसी राज्य झारखंड में संगठन सृजन कार्यक्रम की समाप्ति के 15-20 दिनों में जिलाध्यक्षों के नाम घोषित हो गए थे। उम्मीद है कि नवंबर के पहले पखवाड़े में छत्तीसगढ़ के नव चयनित जिलाध्यक्षों के नाम सामने आ जाएंगे।

संचार विभाग
जिला कांग्रेस कमेटी, सरगुजा

बहरहाल राजेश ठाकुर के इस दौरे से सरगुजा में कांग्रेस को फ़ायदा होगा ये तय है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सरगुजा संभाग और ज़िले में जनाधार खो रही भाजपा के स्थानीय निष्क्रिय नेता ही भाजपा के लिए सबसे बड़ी परेशानी बनते जा रहे हैं जिससे आमजन में भारी आक्रोश भी है। यदि कांग्रेस इसी तरह अपनी ज़मीनी रणनीति पर काम कर लेती है तब उस स्थिति में कांग्रेस को फ़ायदा होगा और भाजपा को नुकसान।

आलोक शुक्ल, सम्पादक पहल।

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