इस तरह के पत्र वो भी मंत्री को मंत्रालय से लिखा गया है जो अब आमजन में चर्चा का विषय है कि मंत्री के रूप में राजेश अग्रवाल को अपने आसपास नियम कानून के जानकारों को रखना चाहिए न कि इस तरह के लोगों के लिए सिफारिश करनी चाहिए। इसी तरह जब राजेश अग्रवाल मंत्री नहीं बने थे तब एक आरटीआई एक्टिविस्ट को पद्मश्री की अनुशंसा कर दी थी जिससे इनकी काफ़ी फ़ज़ीहत हुई थी।

गैर शासकीय व्यक्ति की  निजी स्थापना में निजी सहायक के रूप में नियुक्त करने के लिए पर्यटन एवं संस्कृति एवं धर्मस्य मंत्री अंबिकापुर के विधायक और वर्तमान भाजपा सरकार में मंत्री राजेश अग्रवाल  ने नोट शीट प्रेषित की।

इस नोट शीट में अपने खास तबरेज आलम को नियुक्ति करने का अनुरोध किया जबकि उसकी शैक्षणिक योग्यता मात्र आठवीं पास थी। छत्तीसगढ़ शासन के नियमानुसार 120वीं पास होना चाहिए अतः उसे अस्वीकार कर दिया गया और मंत्री जी को अवगत कराने के लिए उनके विशेष सहायक को मंत्रालय से पत्र प्रेषित कर दिया गया, जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है।

पत्र की कॉपी पहल पर है।
वहीं आमजन कह रहे हैं कि तबरेज आलम में आखिर ऐसी क्या खूबी थी  जिसके लिए नए नवेले मंत्री राजेश अग्रवाल अपनी पूरी ताकत लगा दिए थे?

सूत्रों की मानें तो संघ के लोग और संगठन के भी कुछ लोगों ने इस पत्र पर नाराज़गी जताई है।

गौरतलब है कि जब राजेश अग्रवाल विधायक थे तब एक आरटीआई एक्टिविस्ट के लिए पद्म श्री की अनुशंसा पत्र लिखकर कर दी थी जिससे इनकी काफ़ी फ़ज़ीहत हुई थी। हालांकि बाद में पता चला कि उस एक्टिविस्ट ने राजेश अग्रवाल को भाषा के भेद में उलझा कर अंधेरे में रखा और पद्मश्री के लिए अनुशंसा करवा ली थी।

बहरहाल मंत्री राजेश अग्रवाल को अब इस तरह के लोगों से सावधान रहकर काम करने की जरूरत है जिससे उनकी छवि धूमिल न हो।

रिपोर्ट आलोक शुक्ल।

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