बिग ब्रेकिंग:

छत्तीसगढ़ पीएससी न्यायिक सेवा परीक्षा विवाद…सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई।

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें PSC द्वारा उन उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड न देने के फैसले को सही ठहराया गया था, जो परीक्षा अधिसूचना जारी होने के समय बार काउंसिल में पंजीकृत (enrolled) नहीं थे।

CJI बी.आर. गवई, जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारियासुप्रीम कोर्ट की बेंच जो इस मामले में सुनवाई कर रही थी

याचिकाकर्ता की ओर से दलील:

यह फैसला दीपक अग्रवाल वाले निर्णय के खिलाफ है, जिसमें कहा गया था कि— पब्लिक ऑफिसर और प्रॉसिक्यूटर को भी वकील माना जा सकता है।
जब वैकेंसी पहली बार निकली थी, तब नामांकन (enrollment) की शर्त नहीं थी। बाद में संशोधन से इसे जोड़ा गया।हाईकोर्ट ने सरकार से इस पर पुनर्विचार करने को कहा था, लेकिन सरकार ने इसे हमारी विज्ञप्ति पर लागू नहीं किया।
परीक्षा इसी रविवार को है।

सरकार की ओर से दलील

ऑल इंडिया जजेस केस के अनुसार चल रही भर्ती प्रक्रिया पर नए नियमों का प्रभाव नहीं पड़ता

CJI की टिप्पणियाँ:

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बने वकील और वे लोग जो कभी बार में नामांकित ही नहीं हुए, दोनों की स्थिति अलग है

संशोधन 5 जुलाई 2024 का है, जबकि विज्ञापन 3 दिसंबर 2024 को जारी हुआ था। यह नियम खुद चुनौती के दायरे में है।

इस मामले में आदेश:

नोटिस जारी किया गया, चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा गया। दस्ती सेवा की भी अनुमति दी गई।

अंतरिम आदेश के तहत PSC को निर्देश दिया गया कि— जो याचिकाकर्ता सभी योग्यता पूरी करते हैं, सिवाय बार काउंसिल में नामांकन के (क्लॉज़ 3(3)(iv)), उन्हें परीक्षा में बैठने दिया जाए।

स्पष्ट किया गया कि परीक्षा में शामिल होना उम्मीदवारों को कोई विशेष अधिकार नहीं देगा।साथ ही कहा गया कि 20 मई 2025 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले शुरू हुई चयन प्रक्रिया में 3 साल की बार प्रैक्टिस की शर्त लागू नहीं होगी।

By admin

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