5000 साल प्राचीन नाट्यशाला रामगढ़ का अस्तित्व ख़तरे में दिख रहा है। आज सरगुजा कांग्रेस ने जांच समिति बनाई और सरगुजा के उदयपुर विकास खंड के रामगढ़ में पहुंचे। जिस तरह से पहाड़ की विशाल चट्टानों में दरार आ रही है उससे इस पुरातात्विक धरोहर पर संकट स्पष्ट दिख रहा है।

गौर तलब है कि अडानी को कोल ब्लॉक आबंटन से सरगुजा के हसदेव अरण्य जंगल के लाखों पेड़ कट रहे हैं वहीं भगवान राम के वन गमन पथ के ऊर्जावान जंगल का जिस तरह कोयले के नाम पर विनाश हो रहा है उससे संस्कृति और सनातन की रक्षा की बात करने वाली भाजपा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। ये सवाल अब देश ही नहीं अपितु विदेश में भी उठ रहे हैं।

हालांकिछत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार में भी अडानी की खदान के लिए जिस द्रुत गति से कार्य किया गया उससे कांग्रेस के एक धड़े पर भी सवाल उठे हैं।

क्योंकि दोनों ही दल इस क्षेत्र को राम वन गमन पथ मान चुके हैं लेकिन उसे यथास्थिति मे बनाए रखने में एक धनकुबेर के सामने जिस तरह से दोनों दल लाचार हैं उससे आमजन में रोष है।

आदिवासी समाज के लोग इस मामले में लामबंद होकर बड़े विरोध की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में सरगुजा राजपरिवार समेत यहां कांग्रेस का रुख इस विरोध में कैसा होगा ये समय ही बताएगा।

प्रेस विज्ञप्ति

जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा के अध्यक्ष  बालकृष्ण पाठक के नेतृत्व में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का दल आज रामगढ पर्वत पर आसन्न खतरे की जांच के लिये पहुंचा। इस दल में 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन के पूर्व उपाध्यक्ष  अजय अग्रवाल, निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद, पीसीसी महामंत्री द्वितेन्द्र मिश्रा, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अम्बिकापुर शहर के अध्यक्ष  हेमंत सिन्हा, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अम्बिकापुर ग्रामीण के अध्यक्ष  विनय शर्मा, विनीत विशाल जायसवाल आदि शामिल थे। जांच दल ने रामगढ पहाड़ में पड़ी दरारों के विषय में जानकारी के लिये पर्वत पर मौजूद मंदिर के बैगा चंदन सिंह और स्थानीय निवासियों से जानकारी प्राप्त की है। उनसे यह जानकारी मिली कि खदान में ब्लास्टिंग के कारण पूरा पहाड़ खतरनाक रूप से कंपन करता है। यह जानकारी मिली कि ब्लास्टिंग के कारण पहाड़ की चट्टानों में चारो ओर दरार पैदा हो गई है। मंदिर जाने के रास्ते में सीढ़ियों पर लाल माटी और सिंहद्वार पर चट्टानों में पड़ी दरारें बेहद खतरनाक स्थिति में है। स्थानीय निवासियों ने जानकारी दी है कि ब्लास्टिंग के कारण विगत वर्षों में सीढ़ियों की ये दरारें निरंतर चौड़ी होते जा रही हैं। अगर भविष्य में यहाँ ब्लास्टिंग जारी रही तो मंदिर तक पहुंचने वाली सीढ़ियों के चट्टानों में लैंडस्लाइड होने की पूरी संभावना है। ऐसी स्थिति में रामगढ पर्वत पर स्थित पवित्र राममंदिर जो सरगुजा जिले में धार्मिक आस्था का केंद्र है तक पहुँचना नामुमकिन हो जायेगा। जांच दल इस निष्कर्ष पर पहुँचा है कि इस क्षेत्र में मौजूदा खदानों की गतिविधियों और नई खदान के खुलने से रामगढ पर्वत का अस्तित्व समाप्त होना तय है। स्थानीय निवासियों के साथ ही साथ जांच दल ने रामगढ संरक्षण एवं संवर्द्धन समिति के सदस्य राजनाथ सिंह, अमृत यादव, नंदा राम, मधु पंडो से भी मुलाकात की। कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्री बालकृष्ण पाठक ने कहा है कि जांच दल एक प्रेसवार्ता के माध्यम से बुधवार 17 सितंबर को इस जांच के निष्कर्षों को साझा करेगी।

रिपोर्ट आलोक शुक्ल।

By admin

You missed