देश में प्राकृतिक तबाही पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बहुत गंभीर टिप्पणी की है।

“हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब वह हमें उसी का जवाब दे रही है।”–सॉलिसिटर जनरल (SG) ने कहा।

रिपोर्ट आलोक शुक्ल।

सुप्रीम कोर्ट का बाढ़ और बारिश पर संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आई हालिया भारी बारिश और बाढ़ को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है।

सीजेआई ने कहा:

“हमने अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ देखी है। इस पर पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया जाता है।”

“प्राथमिक तौर पर यह दिख रहा है कि बड़े पैमाने पर अवैध कटान हुआ है। इस पर तीन हफ्ते में जवाब दाखिल किया जाए।

“मीडिया रिपोर्ट्स में हिमाचल से बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्ठे बहते हुए दिखाए गए हैं। यह गंभीर मामला है।”
“हम पंजाब की तस्वीरें देख रहे हैं, जहां पूरे खेत और गांव तबाह हो गए हैं। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन जरूरी है।”

सॉलिसिटर जनरल (SG) ने कहा:

“हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब वह हमें उसी का जवाब दे रही है।”

साथ ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी और महत्वपूर्ण बात कही है।

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बाढ़ के पानी में तैरते लकड़ी के वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि

हिमालयी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से पेड़ों की कटाई हो रही है

CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है

हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ देखी है: SC

मीडिया रिपोर्टों से यह भी पता चला है कि बाढ़ में भारी संख्या में लकड़ी के लट्ठे बह रहे थे: SC

प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पहाड़ियों पर पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है: SC

SC ने हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय क्षरण के मुद्दे को उठाने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

अब देखना ये है कि आज इतनी गंभीर टिप्पणी के बाद भी देश के कर्ता धर्त्ता इस मामले पर किस तरह की रूपरेखा तैयार कर प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन पर काम कर पाते हैं।

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