
योग जैसे पावन विषय पर सरगुजा के अंबिकापुर में असमानता का जो व्यवहार कल अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर नज़र आया उसकी जमकर आलोचना हो रही है।
इस मुद्दे पर पहल ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की राय जाननी चाही जिस पर लोग यही कह रहे हैं कि एक ओर राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय साधारण रूप से सबके साथ बिना बिसलेरी के योग करते दिख रहे हैं वहीं सरगुजा के सांसद चिंतामणि महाराज, सरगुजा के कलेक्टर विलास भोसकर समेत सरगुजा की महापौर मंजूषा भगत और अन्य कुछ लोग वीआईपी अंदाज़ में बकायदा एक से सफेद आसन पर बिसलेरी की बोतल रखकर योग करते दिख रहे हैं जो कि बेहद निंदनीय है।




सांसद, कलेक्टर, अधिकारी विशेष सफेद आसन पर बकायदा बिसलेरी की बोतल के साथ योग करते दिख रहे हैं तस्वीरों में वहीं स्कूली बच्चे साधारण आसन पर बिना बिसलेरी की बोतल के साथ?
प्रश्न ये कि हमारे गुरुकुल में जब ऋषि मुनि कभी राजपरिवारों और साधारण परिवारों के बच्चे में भेद नहीं किए तो ये सरगुजा का प्रशासन क्या प्रदर्शित कर रहा है और आश्चर्य तो ये कि कलेक्टर, सांसद, अधिकारी, महापौर इनके पास बिसलेरी की पानी की बोतल? समझ नहीं आता ये योग क्या पानी पी पीकर किया जाता है। इस तरह के आयोजन में समानता का भाव होना चाहिए ये सबका मानना है साथ ही सरकारी आयोजनों में इस तरह की फिजूलखर्ची अशोभनीय है।
योग को योग तक ही सीमित रखें इसमें व्यर्थ का दिखावा और फिजूलखर्च योग को भोगमय बना सकता है।
वहीं कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर हमें बताया कि सरगुजा में किसी भी सरकारी आयोजन में कुछ खास संस्थानों से पानी की बोतलों समेत कुछ वस्तुएँ मंगाई जाती हैं फिर आयोजन के बाद काफी मात्रा में बची इन पानी की बोतलों और सूखे नाश्ते को लंबा बिल बनाकर दुबारा उस संस्थान को दे दिया जाता है।
एक ओर पूरा विश्व अब अंतराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है जिसमें देश विदेश में भारत की छवि योग में भी विज्ञान को प्रदर्शित कर रही है। सब एक साथ योग कर रहे हैं मगर सरगुजा जिले के प्रशासन के वीआईपी योग संस्कृति से इस तरह के आयोजन का माखौल ही उड़ता है और जो संदेश समाज में जाना चाहिए वो नहीं दिखता।
प्रधानमंत्री मोदी स्वयं इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं इस स्थिति में हर राज्य को सादगी और गौरव पूर्ण आयोजन को करना चाहिए।
आलोक शुक्ल।