
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में दो युवा अधिकारियों ने एक बड़े मामले का खुलासा किया है ।
रिपोर्ट आलोक शुक्ल।
दरअसल सरगुजा संभाग का बलरामपुर ज़िला झारखंड से लगा हुआ है ऐसे में यहाँ कई तरह के अवैध कारोबार भी फलते फूलते रहते हैं।
इसी की अहम कड़ी फ़र्ज़ी वन अधिकार पट्टा भी है जिसमें एक संगठित अंतर्राज्यीय गिरोह भी फ़र्ज़ी तरीक़े से वन विभाग की ज़मीन को अवैध तरीक़े से वन अधिकार पट्टे बनाकर ग्रामीणों से रकम वसूल कर इस तरह के अवैध कारोबार को अंजाम दे रहा था ।
मगर वहाँ के युवा तेज़तर्रार आईएफएस आलोक बाजपेयी और युवा आईपीएस वैभव बैंकर ने संयुक्त कार्यवाही कर तीन जालसाज़ों को जेल की सलाख़ों के पीछे पहुँचा दिया है जिससे इन माफियाओं के हौसले पस्त हो रहे हैं ।
ग़ौरतलब है कि डीएफओ आलोक बाजपेयी अब तक कई सौ एकड़ ज़मीन से एक झटके में अवैध अतिक्रमण हटा चुके हैं और इस काम में युवा आईपीएस वैभव बैंकर भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं ।
इसी का परिणाम है कि 29एकड वन भूमि का फ़र्ज़ी वन अधिकार पट्टा बनाते हुए तीन आरोपी अविनाश दुबे,विपिन कुजूर और सुरेन्द्र आयाम को गिरफ़्तार कर जेल भेजा जा चुका है और इनके पूरे संपर्क को खंगाला जा रहा है ।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव ने भी पहल के संपादक आलोक शुक्ल से एक साल पहले बेबाकी से पूछे सवालों पर राजनीति से ऊपर उठकर वन अधिकार पट्टे पर रोक लगाने की बात खुलकर कही थी, इसमें उन्होंने कांग्रेस पर भी कहा था कि दोनों दल कांग्रेस और भाजपा या कोई भी हो अब वन अधिकार पट्टे पर रोक लगनी चाहिए।
पहल से बात करते हुए दोनों अधिकारियों ने कहा है कि हम इन भू माफियाओं की हर कड़ी को तलाश रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछली भूपेश सरकार में वन भूमि और सरकारी भूमि की जिस तरह बंदरबांट हुई है उससे गंभीर सवाल खड़े हुए थे जिस पर अप्रत्यक्ष रूप से टी एस सिंहदेव ने भी खुलकर वन भूमि के पट्टे पर रोक लगाने की बात कह डाली थी हालांकि भाजपा को भी इस बात पर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए साथ ही वन विभाग के युवा आई एफ एस अधिकारी आलोक बाजपेई की कार्यवाही को रोल मॉडल बनाकर हर जगह लागू करना चाहिए।