
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार पर हो रहे चौतरफा हमले की गूंज दिल्ली में संगठन तक सुनाई देने लगी है।
संपादकीय आलोक शुक्ल।
2023 में विधानसभा चुनाव में भाजपा को सरगुजा व बस्तर से मिली बड़ी बढ़त ने राज्य में सत्ता में काबिज किया। मगर सरकार पर सुस्त रहने और अनियंत्रित नौकरशाही के हावी होने से सरकार का चौतरफा विरोध भी कांग्रेस ने करना शुरू कर दिया है। यानि भूपेश सरकार के समय जिस तरह कुछ नौकरशाह हावी हुए कुछ इसी तरह की बात भाजपा सरकार में भी दिखने लगी खासकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सरगुजा संभाग में जिस तरह शिक्षा विभाग की अकर्मण्यता और प्रशासन के बड़े अधिकारियों के कारण महिला शिक्षिकाओं को परेशानी हुई उसके बाद जिले के नौकरशाहों पर आमजन की नाराज़गी बढ़ती ही गई। यही हाल राज्य में अन्य जगहों पर भी दिखा जिससे सीधे सरल विष्णु देव साय के प्रति कुछ साज़िश की बू भी स्पष्ट तौर पर आने लगी।
सी एम हाउस के एक अधिकारी पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं साथ ही जिस तरह से शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी की अदूरदर्शिता और लापरवाही से प्रदेश में शिक्षा विभाग की फजीहत हुई है उसमें भी एक सुनियोजित षड्यंत्र सामने आ सकता है।
वहीं छत्तीसगढ़ का विधानसभा सत्र जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो रहा है जिसके हंगामेदार होने की पूरी संभावना है। राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर नाराज़गी तो है ही इसके साथ साथ रेत का अवैध खनन का मुद्दा उठाया जाएगा।
लगातार शराब दुकानों की बढ़ती संख्या भी एक मुद्दा है। कुल मिलाकर भाजपा को ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि जिस मुद्दे पर वो भूपेश सरकार का विरोध कर सत्ता में आई है उन्हीं में से कुछ मुद्दों पर अब कांग्रेस भी भाजपा का दमदार विरोध कर सकती है।
कांग्रेस के पास दमदार विरोध करने लायक विधायक भी हैं एवं जिस निरंतरता के साथ वो बस्तर, सरगुजा संभाग में ज़मीन पर उतर आई है उससे भाजपा के लिए परेशानी बढ़ेगी ही।


पिछला चुनाव भाजपा मोदी और केंद्र के भाजपा संगठन के बल पर जीती है न कि छत्तीसगढ़ के किसी स्थानीय नेताओं के बदौलत ये भाजपाइयों को अपने दिल दिमाग पर बैठाना होगा अन्यथा आगे की राह मुश्किल हो सकती है।
बहरहाल जिस तरह से अब भाजपा का संगठन सरगुजा के मैनपाट से प्रशिक्षण वर्ग की शुरुआत कर रहा है यदि उसके सकारात्मक परिणाम दिखे तो ये भाजपा के लिए सुखद होगा ये अच्छा संकेत है कि अजय जामवाल और पवन साय इन बातों को संकेत में समझ रहे हैं मगर असली बात ज़मीन पर दिखने की है जिसे चरितार्थ होते देखना आम भाजपा का कार्यकर्ता तो देखना चाह रहा है लेकिन चंद मद में चूर अति महत्वाकांक्षी लोग कुछ नौकरशाहों के साथ मिलकर भाजपा की राह में कांटे बिछाने का काम भी बख़ूबी कर रहे हैं जिस पर किस तरह अंकुश लगेगा ये समय ही बताएगा।
आलोक शुक्ल।